तब भन्डारी सोचल लगो कै, ‘अब मैं का करौं? कैसेकै मेरो मालिक अब भन्डारी को काम मुस्सै छीन रओ है; मैं मै अब इत्ती तागत बी ना रैहई कै मैं खेतौ मै खुदाई, गुड़ाई को काम तक कर सकौं और भीक माँगनै मै मैंकै सरम आवै है।’
संग-संग हमरे ताँई जा दुनिया को अब्बा बी है जो सजा देवै है और हम तब्बी बाकी इज्जत करै हैं। तौ हमरो आत्मिक अब्बा परमेसर के हक मै रैहनो और बी जादा अच्छो ना है? बासै हमकै जिन्दगी मिली है।