2 ईसु बोलो “किसी सैहर मै एक जज रैहए करै हो। बौ ना तौ परमेसर सै डरै हो और नाई किसी आदमी की परवा करै हो।
उसई सैहर मै एक राँड़ बी रैहए करै ही। और बौ उसके धौंरे बेरमबेर आकै कैबै ही, मेरो नियाय कर।
पर लम्बे टैम तक तौ बौ जज आनाकानी करतो रैहओ पर आखरी मै उसनै अपने मन मै सोचो, ‘ना तौ मैं परमेसर सै डरौ हौं और ना लोगौं की परवा करौं हौं।’
तब अंगूर के बगीचा के मालिक नै कैई, ‘मैं का करौं? मैं अपने पियारे लौंड़ा कै भेजंगो, कै बे उसको आदर करैं।’
संग-संग हमरे ताँई जा दुनिया को अब्बा बी है जो सजा देवै है और हम तब्बी बाकी इज्जत करै हैं। तौ हमरो आत्मिक अब्बा परमेसर के हक मै रैहनो और बी जादा अच्छो ना है? बासै हमकै जिन्दगी मिली है।