तब भन्डारी सोचल लगो कै, ‘अब मैं का करौं? कैसेकै मेरो मालिक अब भन्डारी को काम मुस्सै छीन रओ है; मैं मै अब इत्ती तागत बी ना रैहई कै मैं खेतौ मै खुदाई, गुड़ाई को काम तक कर सकौं और भीक माँगनै मै मैंकै सरम आवै है।’
और मैं तुमसै कैरओ हौं, इस बुरी दुनिया के धन-दौलत सै अपने ताँई दूसरौं कै दोस्त बनाऔ, ताकि जब तुमरी धन-दौलत किसी काम की ना रैहगी तब तुमरो सुआगत सुरग मै होगो।