3 तब भन्डारी सोचल लगो कै, ‘अब मैं का करौं? कैसेकै मेरो मालिक अब भन्डारी को काम मुस्सै छीन रओ है; मैं मै अब इत्ती तागत बी ना रैहई कै मैं खेतौ मै खुदाई, गुड़ाई को काम तक कर सकौं और भीक माँगनै मै मैंकै सरम आवै है।’
और बे यरीहो सैहर मै आए, और जब बौ और बाके चेला, और एक बड़ी भीड़ यरीहो सैहर सै लिकर रई ही, तौ तिमाई को लौंड़ा बरतिमाई नाम को एक अन्धो भिकारी सड़क के किनारे बैठो हो
और बाई बखत मै लोग एक जलम के लंगड़ा कै ला रए हे। बे बाकै हर रोज मन्दर के बा मौहड़े मै बिठा देवै हे जिसको नाम “सुन्दर” हो, जिस्सै कै बौ मन्दर मै आनै जानै बारौ सै भीक माँग सकै।