30 मैं खुद अपनी ओर सै कुछ ना कर सकौ हौं। जैसो परमेसर की ओर सै मैं सुनौ हौं, बैसोई नियाय करौं हौं और मेरो नियाय सच्चो है, कैसेकै मैं अपनी ना, पर अपने भेजनै बारे की इच्छा चाँहबौ हौं।
फिर बौ थोड़ो अग्गे बढ़ो और मौह के बल गिरो, और जौ पिराथना करल लगो कै, “हे मेरे अब्बा, अगर हो सकै तौ, जौ दुख को कटोरा मैंसै टल जाय, तौबी जैसो मैं चाँहौ हौं बैसो ना, पर जैसो तू चाँहै है बैसोई हो।”
का तू बिसवास ना करै है कै मैं अब्बा मै हौं और अब्बा मैंई मै है? जो बचन मैं तुमसै कैबौ हौं बौ अपनी ओर सै ना कैबौ हौं, पर अब्बा जो मैंई मै रैहबै है बौई अपने काम कराबै है।
ईसु नै उनसै कैई, “मैं तुमसै सच-सच कैरओ हौं, लौंड़ा खुद सै कुछ ना कर सकै है, बौ सिरप बौई करै है जो अब्बा कै करतो देखै है, कैसेकै अब्बा जो कुछ करै है लौंड़ा बी बैसोई करै है।
फिर ईसु नै उनसै कैई, “जब तुम आदमी के लौंड़ा कै ऊँचे मै चढ़ाऔगे तौ तुम जानौगे कै बौ मैं हौं। मैं अपनी ओर सै कुछ ना करौ हौं, पर मैं जो कुछ कैरओ हौं, बैसेई कैबौ हौं जैसे मैंकै अब्बा नै सिकाओ है।
ईसु नै उनसै कैई, “अगर परमेसर तुमरो अब्बा होतो, तौ तुम मैंसै पियार करते, कैसेकै मैं परमेसर सै लिकरकै आओ हौं और अब मैं हिंया हौं। मैं अपनी मरजी सै ना आओ, पर बाई नै मैंकै भेजो है।
पर तू अपने बुरे कामौ सै मन ना फिरानै और अपने हटीले मन की बजै सै बाके कोप के दिन के ताँई जिसमै परमेसर को सच्चो नियाय परकट होगो, उस दिन के ताँई परमेसर को कोप कै इखट्टो कर रओ है।