कोई मेरी जान मैंसै ना छीन सकै है, पर मैं बाकै अपने आप देवौ हौं मैंकै बाकै दैनै को अधकार है, और फिर ले लैनै को बी अधकार है। जौ आगियाँ मैंकै अपने अब्बा सै मिली है।”
ईसु नै जबाब देते भए उस्सै कैई, “अगर तू परमेसर के बरदान कै जानती और जौ बी जानती कै बौ कौन है जो तुस्सै कैबै है, मैंकै पानी पिबा, तौ तू बासै माँगती और बौ तेकै जिन्दगी को जल देतो।”
सिरप बौई अमर है जो हमेसा की जोती मै रैहबै है, जिसकै किसी आदमी नै ना तौ कबी देखो है और नाई देख सकै है। बाकी इज्जत और सकति युगौं-युगौं तक रैह। ऐंसोई होए।
फिर उसनै मैंसै कैई, “सब कुछ पूरो हो चुको है। मैंई पैलो और आखरी हौं, मैंई सुरूआत और अन्त हौं। जो बी पियासो है, मैं उसकै जिन्दगी के जल के सोत सै मुफत मै पिबांगो।
कैसेकै मैमना जो सिंगासन के बीच मै है उनकी रखबारी करैगो और उनकै जिन्दगी दैनै बारे जल के सोतौं के धौंरे ले जाऐ करैगो और परमेसर उनकी आँखौ सै सब असुआ पछौन डारैगो।”