पर जो कोई उस जल मै सै पियैगो जो मैं बाकै देंगो, बौ फिर जिन्दगी भर कबी पियासो ना होगो, पर जो जल मैं बाकै देंगो, बौ बामै एक सोता बन जागो, जो हमेसा की जिन्दगी के ताँई उमड़तो रैहगो।”
पर जा दुनिया के लोग परमेसर की आत्मा की बातौं कै ना मानै हैं, कैसेकै बे बात उन लोगौ की नजरौ मै मूरखता बारी हैं। बे इनकै ना समज सकै हैं, कैसेकै इन बातौं की परख आत्मा करै है।
फिर उसनै मैंसै कैई, “सब कुछ पूरो हो चुको है। मैंई पैलो और आखरी हौं, मैंई सुरूआत और अन्त हौं। जो बी पियासो है, मैं उसकै जिन्दगी के जल के सोत सै मुफत मै पिबांगो।
कैसेकै मैमना जो सिंगासन के बीच मै है उनकी रखबारी करैगो और उनकै जिन्दगी दैनै बारे जल के सोतौं के धौंरे ले जाऐ करैगो और परमेसर उनकी आँखौ सै सब असुआ पछौन डारैगो।”