9 जब बे किनार मै आए तौ उनौनै बहाँ धदकते अंगरा की आग पजरती भई देखी बामै मच्छी और रोटी बन्नै के ताँई रखी हीं।
तब सैतान उसके धौंरे सै चलो गओ और देखौ, सुरगदूत आकै ईसु की सेवा करल लगे।
अगर मैं उनकै भूँकेई घर भेज दौं, तौ रस्तई मै थक कै बेहोस हो जांगे इनमै सै कुछ लोग दूर सै आए हैं।”
बहाँ नौकर और मन्दर के सिपाई कौला की आग पजारकै खड़े होकै ताप रऐ हे कैसेकै ठंड ही और पतरस बी उनके संग खड़ो होकै आग ताप रओ हो।
ईसु नै उनसै कैई, “जो मच्छी तुमनै अबी पकड़ी हैं, उनमै सै कुछ लाऔ।”
ईसु नै आकै रोटी लंई और उनकै देईं और ऐंसेई मच्छी बी देईं।
पर दूसरे चेला किसती मै मच्छी सै भरो भओ जार खैंचते भए आए कैसेकै बे किनार सै जादा दूर ना हे, पर करीब सौ मीटर की दूरी मै हे।
तब ईसु नै रोटी लई और धन्नबाद की पिराथना करकै, बे जो बैठे हे उनकै बाँट दंई और बैसोई मच्छी के संग बी करो, और जितनो लोग खानो चाँहै हे उतनो देओ।
“हिंया एक छोटे से लौंड़ा के धौंरे जई की पाँच रोटी और दो मच्छी हैं पर इत्ते आदमिऔ मै इतका सै का होगो?”