10 और उस्सै कैई, “हर एक आदमी पैले बढ़िया अंगूर को रस देवै है, और जब लोग पीकै छक जावै हैं, तौ घटिया बारो। पर तैनै तौ अब तक बढ़िया अंगूर को रस बचाकै रखर खाऔ है।”
“पर इब्राहिम नै कैई, ‘हे मेरे लौंड़ा, तू अपनी जिन्दगी मै अच्छी-अच्छी चीज ले चुको है, जबकि लाजर कै बुरी चीजई मिली हैं, पर अब हिंया बाकै सान्ति मिल रई है, और तू तड़प रओ है।
बलकन जब तुम परभु के नाम मै रोटी लेबौ हौ तौ तुम्मै सै हर कोई एक दूसरे को पैंड़ो देखे बिनाई बाकै खा लेबै है, पर कुछ आदमी भूँके और कुछ खा-पीकै टैट रैहबैं हैं।