मेरी इच्छा और आस जौई है कै चाँहे मैं मरौं या जिन्दो रैहऔ मेरी किसी बात मै बेजती ना होए, पर मेरे सरीर सै हमेसा पूरी हिम्मत के संग मसी की महिमा होती रैहऐ जैसी हमेसा होवै है, और अब्बी हो रई है।
जौ बा दिन होगो जब बाकै अपने पबित्तर लोगौ की ओर सै महिमा मिलैगी, और सिगरे बिसवास कन्नै बारे लोग बाकी इज्जत करै हैं। तुम बी जामै सामिल हौ, कैसेकै तुमनै हमरी गभाई मै बिसवास करो है।
पर तुम एक चुनो भओ बंस, राज कन्नै बारे बड़े पुजारी को समाज, पबित्तर लोग, और परमेसर के अपने लोग हौ। इसताँई तुम परमेसर की अच्छाई के बारे मै बोलौ, जिसनै तुमकै इन्धेरे सै अपनी एक अनौखी जोती मै बुलाओ है।