“एक और दासतान सुनौ: एक जमीदार हो। बानै अंगूरौं को एक बगीचा लगाओ और बाके चारौ लंग बेड़ा कर दई। फिर अंगूरौं को रस लिकान्नै के ताँई बानै एक गड्ढा खोदो और बाके ऊपर पक्को मचान बनबाओ, तब बाको ठेका किसानौ कै देकै बौ परदेस चलो गओ
फिर बौ दासतान मै उनसै बात करल लगो कै, “किसी आदमी नै अंगूर को बगीचा लगाओ, और उसके चारौ लंग बेड़ा बांधी, और उसमै रस को कुन्ड खुदबाओ और पक्को मचान बनबाओ, और कुछ किसानौ कै उसको ठेका देकै दूसरे मुलक चलो गओ।