तुमनै सुनी, कै मैंनै तुमसै कैई, ‘मैं जा रओ हौं और फिर तुमरे धौंरे आंगो।’ अगर तुम मैंसै पियार करते तौ खुस होते, इसताँई कै मैं अब्बा के धौंरे जा रओ हौं, कैसेकै अब्बा मैंसै महान है।
जो लौंड़ा मै बिसवास करै है, हमेसा की जिन्दगी बाई की है, पर बौ जो लौंड़ा की ना मानै है बाकै जिन्दगी ना मिलैगी, और परमेसर को घुस्सा बाके ऊपर बनो रैहगो।
कैसेकै मेरे अब्बा की इच्छा जौ है, कै हर एक आदमी जो लौंड़ा कै देखै है, और बाके ऊपर बिसवास करै है, बौ हमेसा की जिन्दगी पागो, और मैं खुद आखरी दिन मै बाकै जिन्दो करंगो।”