जब पीलातुस नै देखो कै कुछ ना बन पड़ रओ है, उल्टा दंगा फसाद हो सकै है, तौ बानै पानी मँगाकै लोगौ के सामने हात धोए और कैई, “मैं इस धरमी के खून को दोसी ना हौं, तुम लोग जानौ।”
जौ पानी बा जल संस्कार के हाँई है जिस्सै अब तुमकै मुक्ति मिलै है; जल संस्कार को मतलब सरीर को मैल धोनो ना हैं बलकन सच्चे मन सै परमेसर के संग बादो कन्नो है। जौ जल संस्कार ईसु मसी के फिर सै जिन्दे होनै के दुआरा हमरी मुक्ति करै है।