“या सोचौ कोई बईयर है जिसके धौंरे दस चाँदी के रुपिया हैं और उसको एक रुपिया खो जावै है तौ का बौ दिया पजारकै घर मै तब तक झाड़ा झूड़ी और निगाह मारकै ढूंड़ती ना रैहगी जब तक कै बौ उसकै मिल ना जाय?
पबित्तर सास्तर मै लिखो है, “मैंनै तेकै भौस्सी जातिऔं को अब्बा ठैराओ है।” उस परमेसर की नजरौ मै जिसके ऊपर इब्राहिम नै बिसवास करो हो, जो मरे भएऔं कै जिन्दो करै है और जो चीज हैई ना, बौ परमेसर के कैनै सैई बन जावै है।
पतरस जो ईसु मसी को भेजो भओ चेला हो बाकी ओर सै, परमेसर के उन चुने भएऔं के नाम जो परदेसी होकै, पुन्तुस, गलातिया, कपदुकिया, एसिया और बिथुनिया इलाके मै सबई इतै-उतै रैहबै हैं।
मेरे पियारे भईयौ, अब हम परमेसर की औलाद हैं, मगर जौ अबी तक परकट ना भओ है कै हम का बनंगे। हम इतनो जानै हैं कै जब परमेसर को लौंड़ा परकट होगो, तौ हम बाके जैसेई हो जांगे, कैसेकै हम बाकै बैसेई देखंगे जैसो बौ है।
बे जौ नओ गीत गाल लगे, “तू इस किताब कै लैनै और इसकी मौहर खोलनै के लायक है, कैसेकै तैनै बलि होकै अपने खून सै हर एक गोत और भासा और लोग और जाति मै सै परमेसर के ताँई लोग मोल लए हैं।