“अरे कपटी सास्तरिऔं और फरीसिऔं! तुम्मै धिक्कार है। तुम लोगौ के ताँई सुरग के राज को मौहड़ो बन्द कर देवौ हौ तुम खुद तौ ना जाबौ हौ पर जो जानो चाँहै है, उनकै रोक देवौ हौ।
फिर बानै सिकाते भए उनसै कैई, “पबित्तर सास्तरौं मै लिखो है, ‘मेरो घर सब जाति के लोगौ के ताँई पिराथना को घर कैलागो?’ पर तुम लोगौ नै जौ डाँकुऔं को अड्डा बना दओ है।”
बौ जिन्दगी की रोटी मैं हौं, जो सुरग सै आवै है। अगर कोई जा रोटी मै सै खाऐ तौ बौ हमेसा जिन्दो रैहगो, और जो रोटी मैं दुनिया कै जिन्दगी के ताँई दंगो बौ मेरो मांस है।”