बौ एलिया की जैसी सकति और आत्मा मै होकै परभु के अग्गे-अग्गे चलैगो। बौ अब्बाऔं को मन उनकी औलादौं की ओर बापस मोड़ देगो और आगियाँ ना माननै बारौं कै ऐंसे बिचारौं की ओर फेर देगो जिस्सै कै बे धरमिऔं के जैसे बिचार रक्खैं। जौ सब, बौ लोगौं कै परभु के खातर तईयार कन्नै के ताँई करैगो।”
और मैं तौ बाकै ना पैचानै हो, पर जिसनै मैंकै पानी सै जल संस्कार दैनै भेजो, बाई नै मैंसै कैई, ‘जिसमै तू आत्मा कै उतरते और ठैरते देखै, पबित्तर आत्मा सै जल संस्कार दैनै बारो बौई है’।