जब पीलातुस नै देखो कै कुछ ना बन पड़ रओ है, उल्टा दंगा फसाद हो सकै है, तौ बानै पानी मँगाकै लोगौ के सामने हात धोए और कैई, “मैं इस धरमी के खून को दोसी ना हौं, तुम लोग जानौ।”
हे मेरे पियारे सातिऔं, जब हमकै जे बादे मिले हैं, तौ आऔ हम बा चीज कै सुद्द करैं जो हमरे सरीर और आत्मा कै असुद्द बनाबै हैं, और परमेसर को डर मानते भए पबित्तर बनौ।
कैसेकै मूसा को नियम किसी कै बी पूरी तरै सै पक्को ना करै है। पर अब हमरे ताँई एक ऐंसी अच्छी आस रक्खी गई है, जिसके दुआरा हम परमेसर के धौंरे जा सकै हैं।
पर जो गियान परमेसर की ओर सै आवै है, बौ पैले तौ पबित्तर होवै है, फिर सान्ति बारो, नरम सौभाब बारो, खुली सोच बारो, दया और अच्छे करमौ सै भरो भओ, और भेदभाब ना कन्नै बारो और खरो आदमी।
अब देखौ जब तुमनै सच्चाई की बातौं कै मानो है और अपनी आत्मा कै पबित्तर करो है तौ तुम सच्चे दिल सै एक दूसरे सै पियार रक्खौ, और आनै बारे बखत मै बी पूरे दिल सै पियार करौ।
जौ पानी बा जल संस्कार के हाँई है जिस्सै अब तुमकै मुक्ति मिलै है; जल संस्कार को मतलब सरीर को मैल धोनो ना हैं बलकन सच्चे मन सै परमेसर के संग बादो कन्नो है। जौ जल संस्कार ईसु मसी के फिर सै जिन्दे होनै के दुआरा हमरी मुक्ति करै है।