11 कैसेकै जब सूरज लिकरै है तौ चटक्को घाम आवै है, तौ बौ घाँस कै सुका देवै है और बाको फूल झड़ जावै है और बाकी चमक खतम होती जावै है; बैसेई सेट आदमी बी अपने कामकाज कै करतो करतो मट्टी मै मिल जागो।
और जो जा दुनिया की चीजौ के लेन-देन मै डूबै हैं, बे ऐंसे रैह, मानौ इन चीज को उनसै कोई मतलब ना हैं, कैसेकै जो दुनिया हम देख रए हैं बौ जादा बखत तक टिकी ना रैहगी।