1 इसताँई हमनै जो कुछ सुनो है बामै खास करकै धियान देनो चँईऐ, जिस्सै कै हम भटकनै ना पांऐ।
का तुम अब तक ना समजे? का उन पाँच हजार लोगौ के ताँई पाँच रोटी तुमकै याद ना है? और तुमनै बहाँ बची भई रोटिऔं सै भरे भए कितने पल्ला उठाए हे?
का आँख होते भए बी ना देखौ हौ, और कान होते भए बी ना सुनौ हौ? का तुमकै याद ना है?
पर अच्छी जमीन मै गिरे भए बे लोग हैं, जो बचन सुनकै उसकै अच्छे और सच्चे मन सै मानै हैं, और अपने धीरज के मारे बे फल लाबैं हैं।
“अब जो मैं तुमसै कैरओ हौं, उन बातौं मै धियान दो। आदमी को लौंड़ा, लोगौ के हातौ मै सौंप दओ जागो।”
तब उनौनै बाकै मारनै कै ताँई पत्थर उठाए पर ईसु लुक्कै मन्दर सै बाहार लिकर गओ।
का तुम बा हौसला कै भूल गए हौ जो परमेसर नै तुमकै अपने बालक समज कै दओ हो, “मेरे पियारे बालकौ, परभु तुमकै सुदारै है बा बात कै हलके मै ना लेईओ, और अगर बौ तुमकै डाँटै तौ हिम्मत मत हारिओ।
इसताँई मैं जौ कोसिस करंगो कै मेरे मर जानै के बाद बी तुम इन बातौं कै हमेसा याद करते रौह।
हे मेरे पियारे भईयौ, अब मैं जौ दूसरी चिट्ठी लिख रओ हौं। और इन दौनौ चिट्ठिऔ सै तुमकै याद दिब्बाते भए तुमरे सच्चे मन कै जगानो चाँहौ हौं।