जब तुम बुरे होते भए बी, अपने बालकौ कै अच्छी चीज दैनो चाँहौ हौ, तौ तुमरो सुरग मै रैहनै बारो पिता अपने माँगनै बारौ कै सबसै अच्छो ईनाम पबित्तर आत्मा काए ना देगो?”
“इसताँई चौकस रैहऔ, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमरो मन भोग-विलास, नसा और जा जिन्दगी की चिन्ताऔं के बोज सै दब जाय और बौ दिन फंदा के हाँई अचानक तुमरे ऊपर आ पड़ै।
और उस्सै कैई, “हर एक आदमी पैले बढ़िया अंगूर को रस देवै है, और जब लोग पीकै छक जावै हैं, तौ घटिया बारो। पर तैनै तौ अब तक बढ़िया अंगूर को रस बचाकै रखर खाऔ है।”
हम बैसेई रैहऐ जैसे दिन के टैम मै रैहबैं हैं। और दाबतौं मै खाकै पीकै धुत्त ना होओ, बईयरौं के संग गलत काम ना करौ, भोग-विलास मै ना पड़ौ, लड़ाई, और ना किसी सै जरन रक्खौ।
बलकन जब तुम परभु के नाम मै रोटी लेबौ हौ तौ तुम्मै सै हर कोई एक दूसरे को पैंड़ो देखे बिनाई बाकै खा लेबै है, पर कुछ आदमी भूँके और कुछ खा-पीकै टैट रैहबैं हैं।
मेरो कैनै को मतलब जौ है कै अगर कोई बिसवासी भाई बईयरौं सै गलत काम कन्नै बारो, लालची, या मूरती पूजा कन्नै बारो, चुगली कन्नै बारो, सरापी या धोकेबाज है, तौ ऐंसे आदमी के संग मेल-जोल रखनो तौ दूर बाके संग रोटी बी ना खइओ।