“या सोचौ कोई बईयर है जिसके धौंरे दस चाँदी के रुपिया हैं और उसको एक रुपिया खो जावै है तौ का बौ दिया पजारकै घर मै तब तक झाड़ा झूड़ी और निगाह मारकै ढूंड़ती ना रैहगी जब तक कै बौ उसकै मिल ना जाय?
मगर बे जो उसके ऊपर बिसवास ना करै हैं, तौ उसको नाम कैसे ले सकैं हैं? और बे जिनौनै उसके बारे मै कबी सुनोई ना है, उसके ऊपर कैसे बिसवास कर सकैं हैं? और अगर अच्छी खबर कै सुनानै बारोई ना है, तौ बे उसके बारे मै कैसे सुन सकै हैं?