“तुम धरती के नौन हौ, पर नौन को सबाद बिगड़ जाय, तौ बौ किस चीज सै नमकीन करो जागो, फिर बौ किसी काम को ना रैह जागो, सिरप इसके कै बाहार फैंको जाय और आदमिऔ के पाँऐऔं के नीचे खूँदो जाय।
तुमरे मौह सै कोई बी गलत बात ना लिकरै, पर जरूरत के हिसाब सै बौई लिकरै जो उनके अग्गे बढ़ानै के ताँई अच्छो है जिस्सै कै उन सुन्नै बारौ के ऊपर उस्सै भलो होए।
मसी के बचनौ कै अपने दिल मै पूरी तरै सै बसालो; और पूरे गियान सै एक दूसरे कै सिकाऔ और चितौनी दो, और अपने अपने मन मै धन्नबाद के संग परमेसर के ताँई किरतन करौ और भजन और आत्मिक गीत गाय करौ।
पर मसी कै अपनी जिन्दगी मै सच्चे मन सै परभु मानकै पबित्तर समजौ, और जो उमीद तुमरी मसी मै है अगर बाके बारे मै कोई पूँछै तौ बाकै जबाब दैनै के ताँई तईयार रौह, पर पियार और आदर के संग।