उनौनै जाकै उस्सै जौ पूँछी कै, “हे गुरू, हम जानै हैं कै तू ठीक कैबै है, और सिकाबै बी है, और किसी को भेदभाब बी ना करै है, पर परमेसर की मरजी कै सच्चाई सै सिकाबै है।
हे मालिकौं, तुम बी अपने सेवकौ के संग ऐंसोई बरताब करौ और उनकै डरानो धमकानो छोड़ दो। कैसेकै तुम जौ जानौ हौ कै तुमरो और उनको एकई मालिक है, जो सुरग मै है और बौ किसी के संग भेदभाब ना करै है।
इसताँई तुम बी बिसवासी भईया या बहन के संग पाप ना करिओ और ना गलत फाएदा उठईओ, कैसेकै परभु इन सिगरी बातौं को बदलो लेगो। जे सिगरी बात मैंनै तुमकै पैलेई बता दंई और ढंग सै समजा बी दंई हैं।
और अगर तुम, हर एक के करमौ के हिसाब सै बिना भेदभाब के नियाय कन्नै बारे परमेसर कै, हे अब्बा, कैह कै बुलाबौ हौ, तौ तुमकै अपनी जिन्दगी परदेसी के हाँई डरते भए काटनी चँईऐ।
ऐंसे लोग चुगली कन्नै बारे और दूसरौं मै गलती ढूंड़नै बारे हैं, और जे अपनी बुरी इच्छा के पीछे चलै हैं और अपने मौह सै घमंड बारी बात बोलै हैं, और अपने फाएदा के ताँई जे दूसरौं की झूँटी बड़ाई करै हैं।