40 तबई उनौनै लंगर खोलकै समन्दर मै फैंक दए, और बाई बखत पतबारौं की रस्सी खोल दंई और हवा के सामने अगली पाल ऊपर खैंच कै किनारे की ओर जिहाज कै ले गए।
ईसु नै गलील की झील के किनार सै जाते भए दो भईया झील मै जार डारते भए देखे; समौन जो पतरस कैलाबै हो और उसको भईया अन्दरयास हो, बे धीमर हे।
और जाके बाद मल्हा लोगौ नै जिहाज के ऊपर छोटी किसतिऔ कै रस्सी सै बांधो, कैसेकै लोग डर रए हे कै कहीं सुरतिस की दल-दल मै जिहाज ना फस जाऐ। इसताँई जिहाज के पाल उतार दए और जिहाज कै पानी के बहाब मै बैहन दओ।
पर जिहाज रेता मै फस गओ और बाको अगलो हिस्सा टिक गओ और बे बाकै हला बी ना सके पर जिहाज को पिच्छे को हिस्सा पानी की लहरौं के थपेरा सै टूटतो गओ।