17 और जाके बाद मल्हा लोगौ नै जिहाज के ऊपर छोटी किसतिऔ कै रस्सी सै बांधो, कैसेकै लोग डर रए हे कै कहीं सुरतिस की दल-दल मै जिहाज ना फस जाऐ। इसताँई जिहाज के पाल उतार दए और जिहाज कै पानी के बहाब मै बैहन दओ।
कोदा नाम की जघै मै हम कैसे ना कैसे करकै पौंचे और हमकै जिहाज की छोटी किसतिऔ कै काबू कन्नै मै बड़ी मुसकल भई।
पर हम किसी टापू मै जरूर पौंचंगे।”
जिहाज कै चट्टान मै टकरानै के डर की बजै सै उनौनै जिहाज के पिच्छे की ओर चार लंगर डारे जिस्सै की जिहाज रुक जाऐ और पिराथना करल लगे कै दिन लिकर जाऐ।
तबई उनौनै लंगर खोलकै समन्दर मै फैंक दए, और बाई बखत पतबारौं की रस्सी खोल दंई और हवा के सामने अगली पाल ऊपर खैंच कै किनारे की ओर जिहाज कै ले गए।
पर जिहाज रेता मै फस गओ और बाको अगलो हिस्सा टिक गओ और बे बाकै हला बी ना सके पर जिहाज को पिच्छे को हिस्सा पानी की लहरौं के थपेरा सै टूटतो गओ।