“‘परमेसर कैबै है कै, आखरी बखत मै ऐंसो होगो कै, मैं सबई लोगौ मै अपनी पबित्तर आत्मा उतारंगो और तुमरे लौंड़ा और लौंड़िया परमेसर की ओर सै बोलंगे, और तुमरी नई पीड़ी दरसन पांगी और तुमरे बुजरग सपनो देखंगे।
और अब किसी मै कोई फरक ना है, चाँहे यूनानी होए या यहूदी, चाँहे खतना बारो होए या बिना खतना बारो, चाँहे सैहर को होए या जंगल को, चाँहे गुलाम होए या आजाद। मसी सिगरी बातौं मै सबई सै बढ़कै है और बौ हम सबई मै रैहबै है।