उस बेमार नै जबाब देओ, “हे परभु, मेरे धौंरे कोई आदमी ना है, कै जब पानी हलाओ जाऐ, तौ मैंकै तलाब मै बार दे, पर मेरे पौंचते पौंचते दूसरो मैंसै पैले बर जावै है।”
और बाई बखत मै लोग एक जलम के लंगड़ा कै ला रए हे। बे बाकै हर रोज मन्दर के बा मौहड़े मै बिठा देवै हे जिसको नाम “सुन्दर” हो, जिस्सै कै बौ मन्दर मै आनै जानै बारौ सै भीक माँग सकै।