“अरे कपटी सास्तरिऔं और फरीसिऔं! तुम्मै धिक्कार है। तुम लोगौ के ताँई सुरग के राज को मौहड़ो बन्द कर देवौ हौ तुम खुद तौ ना जाबौ हौ पर जो जानो चाँहै है, उनकै रोक देवौ हौ।
जब यहून्ना नै देखो कै भौत से फरीसी और सदूकी उसके धौंरे जल संस्कार लैनै आ रए हैं तौ बौ उनसै बोलो “ओ, साँप की औलादौं! तुमकै किसनै जता दओ, कै परभु के आनै बारे घुस्सा सै भाजौ?
तुम अपने अब्बा सैतान की औलाद हौ। और तुम अपने अब्बा की इच्छा मै चलनो चाँहौ हौ। बौ सुरू सैई हत्तियारो हो। और बौ सच्चाई मै कबी कायम ना रैहबै है। कैसेकै बामै सच्चाई हैई ना। जब बौ झूँट बोलै है तौ अपने सौभाब सै बोलै है, कैसेकै बौ झूँटो है और झूँट को अब्बा है।