20 सेट के घर मै बस सौने और चाँदी केई बरतन ना पर लकड़ी और मट्टी के बी होवै हैं। पर किसी कै इज्जत के ताँई और किसी कै बेजती के काम के ताँई काम मै लेबै हैं।
पर हम मट्टी के बा बरतन के हाँई हैं जिसमै जौ खजानो रक्खो भओ है। जिस्सै जौ साप-साप हो जाऐ कै बौ सकति जो कबी खतम ना होवै है, हमरी ओर सै ना पर बौ परमेसर की ओर सै है।
अगर मैंकै आनै मै देर होए तौ तुमकै जौ पतो होनो चँईऐ कै परमेसर के टब्बर के लोगौ को बरताब कैसो होनो चँईऐ। जौ टब्बर जिन्दे परमेसर के बिसवासिऔ की मंडली है, और सच्चाई की बुनियाद और खम्मा है।
तुम बी खुद जिन्दे पत्थरौं के हाँई हौ और आत्मिक घर बनते जाबौ हौ, जिस्सै कै पुजारिऔं को पबित्तर समाज बनकै, ऐंसे आत्मिक बलिदान चढ़ाऔ, जो परभु ईसु मसी के दुआरा परमेसर कै परसन्द हौं।