सच्ची मै हम जब तक जा दुनिया के घर यानी सरीर मै रैहंगे, तौ बोज की बजै सै कैंखते रैहंगे, कैसेकै हम अपने जा सरीर कै छोड़नै के ताँई ना सोचै हैं। पर जामै सुरग के सरीर कै पैहरनो चाँहै हैं, जिस्सै जौ नास होनै बारो सरीर जिन्दगी मै बदल जाय।
“देखौ! मैं चोर के हाँई आ रओ हौं। धन्न है बौ, जो जगतो और अपने लत्तौ कै अपने संग रक्खै है, ताकि बौ नंगो ना फिरै और लोगौ के सामने उसकै सरमिन्दा ना होनो पड़ै।”
इसताँई मैं तेकै सला देरओ हौं कै आग मै सुद्द करो भओ सौनो मैंसै मोल लेकै तू सेट हो जाय और सपेद लत्ता मोल ले ले जिसकै पैहरकै तेरे नंगेपन की सरम ढक जाय और अपनी आँख मै लगानै के ताँई सुरमा मोल ले ले, कै तू देखल लगै।