“जो तुमरी सुनै है, बौ मेरी सुनै है और जो तुमरी बेजती करै है, बौ मेरी बेजती करै है। जो मेरी बेजती करै है, बौ पिता परमेसर की बेजती करै है, जिसनै मैं भेजो हौं।”
कैसेकै जब हम परमेसर के दुसमन हे, तौ उसनै अपने लौंड़ा की मौत के दुआरा हमरो मेल अपने संग कराओ है, और अब मेल हो चुको है तौ हम मसी जिन्दगी दुआरा मुक्ति काए ना पांगे?
कैसेकै मैं मसी की सेवा करौ हौं पर मैं कमजोरिऔं मै, बेजती मै, मुसीबतौं मै और सताब मै पूरी तरै खुस हौं। कैसेकै जब मैं कमजोर होबौ हौं तौ तबई मैंकै तागत मिलै है।
बानै हमकै नए नियम को सेवक होनै के ताँई लायक बनाओ है। किसी लिखे भए नियम को सेवक ना, पर पबित्तर आत्मा को। कैसेकै लिखो भओ नियम मौत देवै है पर पबित्तर आत्मा जिन्दगी देवै है।
परभु को डर मानते भए हम लोगौ कै समजानै की कोसिस करै हैं और परमेसर हमकै अच्छे ढंग सै जानै है, और मैं जौ उमीद करौ हौं कै तुमरो मन बी जौ बात जरूर जानै है।
और बाईके दुआरा परमेसर सिगरी चीजौ को मेल-मिलाब अपने संग रखनो चाँहै है, चाँहे बौ धरती की, चाँहे बौ सुरग की हौं; और बाईके खून के दुआरा जो कुरूस मै बहाओ हो, परमेसर नै मिलाब करबाओ।