सच्ची मै हम जब तक जा दुनिया के घर यानी सरीर मै रैहंगे, तौ बोज की बजै सै कैंखते रैहंगे, कैसेकै हम अपने जा सरीर कै छोड़नै के ताँई ना सोचै हैं। पर जामै सुरग के सरीर कै पैहरनो चाँहै हैं, जिस्सै जौ नास होनै बारो सरीर जिन्दगी मै बदल जाय।
लोग हमकै परदेसिऔं के हाँई समजै हैं, पर हमकै सबई जानै हैं। हम मरे भए हाँई दिखाई देवै हैं, पर फिर बी जिन्दे हैं। मार खानै बारौ के हाँई हैं, फिर बी जान सै ना मारे जावै हैं।