9 पर परभु नै मैंसै कैई कै, “मेरी किरपा तेरे ऊपर भौत है कैसेकै कमजोरिऔं मैई मेरी सकति सबसै जादा है।” इसताँई मैं अपनी कमजोरिऔं के ऊपर खुसी के संग घमंड करौ हौं कै मसी की सकति मेरे भीतर है।
जैसे तुमकै परखो गओ है बैसेई दूसरे लोगौ कै परखो गओ हो। परमेसर बिसवासजोग है बौ तुमकै तुमरी सैहन सकति सै बाहार परखनै के ताँई ना छोड़ैगो, बलकन परखनै के संग-संग बौ बासै बचनै की रस्ता बी दिखागो, जिस्सै तुम उस्सै गुजर सकौ।
पर मैं जो कुछ बी हौं, बौ परमेसर की किरपा सै हौं। बाकी किरपा जो मेरे ऊपर भई, बौ बेकार ना गई। पर मैंनै सबई सै जादा मैहनत करी, तौबी जौ मेरी ओर सै ना पर परमेसर की किरपा सै भओ, जो मेरे ऊपर ही।
कैसेकै मैं मसी की सेवा करौ हौं पर मैं कमजोरिऔं मै, बेजती मै, मुसीबतौं मै और सताब मै पूरी तरै खुस हौं। कैसेकै जब मैं कमजोर होबौ हौं तौ तबई मैंकै तागत मिलै है।
मेरे धौंरे जो कुछ है, बाकै मैं तुमरे ताँई खुसी के संग खरच करौ हौं और तुमरे ताँई मैं खुद कै बी खरच कर दंगो। जब मैं तुमसै जादा पियार करौ हौं, तौ तुम मैंसै कम पियार कैसे कर सकौ हौ?