हे भईयौ और बहनौ, खुस रौह। अब मैं तुमसै बिदा चाँहौ हौं, अपनो चाल-चलन सई रक्खौ, और बैसोई करिओ जैसो मैंनै कैई है, एकई सोच रक्खौ और सान्ति सै रैहऔ, पियार और सान्ति को परमेसर तुमरे संग रैह।
और मैं अपनी सरीर की कमजोरी की बजै सै तुमरे ऊपर बोज बनो पर फिर बी तुमनै ना तौ मेरी बेजती करी और ना मैंसै नफरत करी, पर तुमनै मेरो परमेसर के दूत और ईसु मसी के हाँई सुआगत करो।