“इसताँई चौकस रैहऔ, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमरो मन भोग-विलास, नसा और जा जिन्दगी की चिन्ताऔं के बोज सै दब जाय और बौ दिन फंदा के हाँई अचानक तुमरे ऊपर आ पड़ै।
इसताँई जगते रैहऔ और हर टैम पिराथना करते रैहऔ, जिस्सै तुम इन सब आनै बारे संकटौ सै बचनै और भरोसे के संग आदमी के लौंड़ा के सामने खड़े होनै के लायक बन जाऔ।”
अगर ऐंसो है तौ जब सै दुनिया बनी ही तब सै मसी कै बेरमबेरा दुख झेलनो पड़तो। पर अब युग के अन्त मै बानै खुद की बलि के दुआरा पापौं कै खतम कन्नै के ताँई एकई दफै परकट करो।
बैसेई हे लोगौ, तुम बी अपनी समज सै अपनी बईयरौं के संग अच्छी जिन्दगी बिताऔ, और बईयरौं कै कमजोर समजकै उनकी इज्जत करौ; जौ समजकै कै हम दौनौ संगई किरपा की जिन्दगी के हकदार हैं जिस्सै कै तुमरी पिराथना ना रुकै।
“देखौ! मैं चोर के हाँई आ रओ हौं। धन्न है बौ, जो जगतो और अपने लत्तौ कै अपने संग रक्खै है, ताकि बौ नंगो ना फिरै और लोगौ के सामने उसकै सरमिन्दा ना होनो पड़ै।”