“अरे कपटी सास्तरिऔं और फरीसिऔं! तुम्मै धिक्कार है। तुम लोगौ के ताँई सुरग के राज को मौहड़ो बन्द कर देवौ हौ तुम खुद तौ ना जाबौ हौ पर जो जानो चाँहै है, उनकै रोक देवौ हौ।
ओ भईयौ और बहनौ, परमेसर नै तुमकै आजाद रैहनै के ताँई बुलाओ है, पर ऐंसो ना होए कै तुमरी आजादी सरीर के बुरे कामौ की ओर होए। पर पियार सै एक दूसरे की सेवा करौ।
पर परमेसर के नियम सिद्द हैं जो हमकै आजादी देवै हैं, अगर कोई आदमी उन बचनौ के ऊपर धियान देवै है और उनकै सुनकै ना भूलै है, पर उन बचनौ के हिसाब सै चलै है तौ बौ परमेसर सै अपने कामौ मै आसीस पागो।
कैसेकै हमरे बीच मै कुछ बुरे लोग चोरी सै घुसे हैं, और बे परमेसर की किरपा को फाएदा गलत कामौ कै कन्नै के ताँई कर रए हैं, और जो हमरो एकई मालिक और परभु ईसु मसी है, बाकै ना मानै हैं। पबित्तर सास्तर मै पैलेई ऐंसे लोगौ के ताँई सजा के बारे मै लिखो भओ है।