हे मेरे पियारे सातिऔं, जब हमकै जे बादे मिले हैं, तौ आऔ हम बा चीज कै सुद्द करैं जो हमरे सरीर और आत्मा कै असुद्द बनाबै हैं, और परमेसर को डर मानते भए पबित्तर बनौ।
सिरप इतनो करौ कै तुमरो चाल-चलन मसी की अच्छी खबर के लायक हो जाऐ कै चाँहे मैं आकै तुमकै देखौं या ना बी आऔं, पर मैं तुमरे बारे मै बस जौई सुनौं कै तुम सब एक आत्मा मै टिक जाऔ और एक मन हो कै, एक संग मिलकै अच्छी खबर के बिसवास के ताँई मैहनत करते रैहऔ।
बैसेई हम तुम सबई कै बी उपदेस, और सान्ति देवै हैं, और समजाबै बी हैं कै तुमरो चाल-चलन परमेसर कै परसन्द आनै बारो होए, जो तुमकै अपने राज और महिमा मै बुलाबै है।
तू अबी जमान है, इसताँई तेरे काम कन्नै कै कोई बेकार ना समजै। पर तेरी बोल चाल, सौभाब, पियार, बिसवास और तेरे सच्ची जिन्दगी के ताँई सिगरे बिसवासी लोगौ के बीच मै तू एक नमूना बन जाय।
बानै हमकै मुक्ति दई है और हमकै पबित्तर जिन्दगी जीनै के ताँई बुलाओ है, जौ सबई कुछ हमरे कामौ की बजै सै ना पर बा मकसद और किरपा की बजै सै भओ है। जौ बरकत हमकै जा दुनिया के बन्नै सै पैलेई ईसु मसी मै देर खाई है।
जौ बात सच है, और मैं चाँहौ हौं कै, तू इन बातौं के बारे मै हिम्मत सै बोलै, इसताँई कै जिनौनै परमेसर मै बिसवास करो है, बे भले भले कामौ मै लगे रैहनै को धियान रक्खैं। जे बात भली और आदमिऔ के काम की हैं।
अपनी जिन्दगी कै पैसौ के लालच सै दूर रक्खौ और जो कुछ तुमरे धौंरे है बाई मै खुस रौह, कैसेकै परमेसर नै जौ कैई है कै, “मैं तुमकै कबी ना छोड़ंगो। मैं तुमकै कबी ना तियागंगो।”
जो लोग बिसवासी ना हैं उनके बीच मै तुमरो चाल-चलन अच्छो रैह, चाँहे बे तुमरे ऊपर गलत काम कन्नै को इलजाम बी लगाऐ पर तुमरे भले कामौ कै देक्कै नियाय के दिन बे परमेसर की महिमा करैं।
पर तुम एक चुनो भओ बंस, राज कन्नै बारे बड़े पुजारी को समाज, पबित्तर लोग, और परमेसर के अपने लोग हौ। इसताँई तुम परमेसर की अच्छाई के बारे मै बोलौ, जिसनै तुमकै इन्धेरे सै अपनी एक अनौखी जोती मै बुलाओ है।
अब परमेसर जो सिगरे किरपा को धनी है, जिसनै तुमकै मसी मै अपनी हमेसा की महिमा के ताँई बुलाओ है, तुमरो थोड़े देर को दुख सैहनै के बाद बौ खुदई तुमकै सिद्द, पक्के, सकतिसाली और तागत बारो बनागो।
“फिलादेलफिया के बिसवासिऔ की मंडली के सुरगदूत कै जौ लिख, “जो पबित्तर और सच्चो है और जिसके धौंरे दाऊद की कूंची है, जिसकै बौ खोलै है बाकै कोई बन्द ना कर सकै है, और जिसकै बौ बन्द करै है, बाकै कोई खोल ना सकै है, बौ जौ कैबै है कै,
चारौ पिरानिऔ के छै छै पंख हैं, बे भीतर बाहार आँखौं सै भरे भए हैं और दिन रात लगातार जौ कैते रैहबैं हैं, “पबित्तर, पबित्तर, पबित्तर परभु परमेसर सरब सकतिमान है, जो हो और जो है और जो आनै बारो है।”
उनौनै जोर सै ऊँची अबाज मै चिल्लाकै कैई, “हे पबित्तर और सच्चो परभु, तू कब तक नियाय ना करैगो? और धरती के रैहनै बारौं सै हमरे खून को बदलो कब तक ना लेगो?”