तबई मैंनै उनकै जबाब देते भए कैई कै, रोमी लोगौ को ऐंसो चलन ना है कै किसी बी आदमी कै अपनी सपाई देए बिना मौत की सजा दैं, जब तक कै आरोपी कै और इलजाम लगानै बारौ कै आमने-सामने खड़े होकै अपनी बात रखनै को मौको ना मिलै।
मैं तुमसै दूर होते भए बी तुमकै जे सब बात लिख रओ हौं कै जब मैं तुमरे धौंरे आंगो तौ मैंकै परभु के देए भए हक सै तुमरे संग कठोर बरताब कन्नो ना पड़ै। कैसेकै जौ हक मैंकै परभु नै देओ है बौ बिगाड़नै के ताँई ना पर तुमकै बढ़ानै के ताँई देओ है।
तुम खुद कै परखौ कै बिसवास मै खरे हौ कै ना हौ। तुम खुद कै जाँचौ। का तुम जौ ना जानौ हौ कै ईसु मसी तुमरे भीतर है? और अगर ऐंसो ना है, तौ तुम परखने मै खरे ना लिकरे।
पर कुछ और आदमी तौ सच्चाई के संग ना, बलकन अपने मतलब की इच्छा सै मसी को परचार करैं हैं। कैसेकै बे सोचै हैं कै ऐंसो करकै बे जेल मै मैंकै दुख देनो चाँहै हैं।
तुम सबके बारे मै ऐंसो सोचनो मेरे ताँई ठीकई है, कैसेकै तुम मेरे दिल मै बसे भए हौ, चाँहै मैं जेल मै हौं, या मैं अच्छी खबर की सच्चाई कै बचाबौ हौं या पक्को दाबो करौ हौं, और उन सबई बखतौ मै तुम सबई परमेसर के जा किरपा मै मेरे साती हौ।
जब मेरी पैली दफै कचैरी मै सुनबाई ही तौ कोई बी मेरी सायता के ताँई ना आओ पर सिगरे जनी मैंकै छोड़ गए। मैं जौ उमीद रक्खौ हौं कै परमेसर के सामने उनमै सै कोई बी दोसी ना लिकरै।