30 और रोनै बारे ऐंसे रैंह, मानौ रोतेई ना हौं, और खुसी मनानै बारे ऐंसे रैंह, मानौ खुसी ना मना रैंह हौं और मोल लैनै बारे ऐंसे हौं, कै मानौ उनके धौंरे कुछ बी ना हो।
“पर इब्राहिम नै कैई, ‘हे मेरे लौंड़ा, तू अपनी जिन्दगी मै अच्छी-अच्छी चीज ले चुको है, जबकि लाजर कै बुरी चीजई मिली हैं, पर अब हिंया बाकै सान्ति मिल रई है, और तू तड़प रओ है।
और जो जा दुनिया की चीजौ के लेन-देन मै डूबै हैं, बे ऐंसे रैह, मानौ इन चीज को उनसै कोई मतलब ना हैं, कैसेकै जो दुनिया हम देख रए हैं बौ जादा बखत तक टिकी ना रैहगी।
जितनी उसनै अपनी बड़ाई बतकाँई और सुख और खुसी मनाई है, उतनोई उसकै दरद और दुख देईओ, कैसेकै बौ अपने मन मै कैबै है, मैं रानी के जैसी सिंगासन मै बैठी हौं, मैं राँड़ ना हौं और कबी दुखी ना हौंगो।
कैसेकै मैमना जो सिंगासन के बीच मै है उनकी रखबारी करैगो और उनकै जिन्दगी दैनै बारे जल के सोतौं के धौंरे ले जाऐ करैगो और परमेसर उनकी आँखौ सै सब असुआ पछौन डारैगो।”