“इसताँई चौकस रैहऔ, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमरो मन भोग-विलास, नसा और जा जिन्दगी की चिन्ताऔं के बोज सै दब जाय और बौ दिन फंदा के हाँई अचानक तुमरे ऊपर आ पड़ै।
कैसेकै हम सबई चाँहे यहूदी हौं, या गैर यहूदी या गुलाम, या आजाद हौं, पर सबई नै एकई आत्मा सै एकई सरीर होनै के ताँई जल संस्कार लओ है। पियास बुझानै के ताँई सबई कै एकई आत्मा दई गई है।
और अब किसी मै कोई फरक ना है, चाँहे यूनानी होए या यहूदी, चाँहे खतना बारो होए या बिना खतना बारो, चाँहे सैहर को होए या जंगल को, चाँहे गुलाम होए या आजाद। मसी सिगरी बातौं मै सबई सै बढ़कै है और बौ हम सबई मै रैहबै है।
अपनी जिन्दगी कै पैसौ के लालच सै दूर रक्खौ और जो कुछ तुमरे धौंरे है बाई मै खुस रौह, कैसेकै परमेसर नै जौ कैई है कै, “मैं तुमकै कबी ना छोड़ंगो। मैं तुमकै कबी ना तियागंगो।”