“इसताँई चौकस रैहऔ, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमरो मन भोग-विलास, नसा और जा जिन्दगी की चिन्ताऔं के बोज सै दब जाय और बौ दिन फंदा के हाँई अचानक तुमरे ऊपर आ पड़ै।
“कटीली झाँड़िऔं मै गिरे भए बे लोग हैं, जो बचन सुनै हैं, पर अग्गे चलकै बे चिन्ता और धन और जिन्दगी के सुख विलास मै फसकै दब जावै हैं और पकनै के ताँई कोई अच्छे फल ना लाबैं हैं।
का तुम जौ ना जानौ हौ कै जब तुम किसी की आगियाँ माननै के ताँई अपने आपकै दासौं के हाँई सौंप देवौ हौ। तौ तुम उसई के दास हौ। फिर चाँहे तुम पाप के दास बनौ, जो तुमकै मौत की ओर ले जागो। चाँहे परमेसर की आगियाँ माननै बारे दास बनौ, जो तुमकै धारमिकता की ओर ले जागी।
कैसेकै परमेसर नै उन सुरगदूतौं कै बी ना छोड़ो जिनौनै पाप करो हो, बलकन उनकै साँकर सै बांधकै नरक के इन्धेरे कुन्ड मै फैंक दओ ताकि नियाय के दिन तक कैद मै रैंह।
और जिन सुरगदूतौं नै अपनी रैहनै की जघै और पद कै छोड़ दओ हो उनकै परमेसर नै हमेसा के ताँई कुप्प इन्धेरे मै बांधकै नियाय के आखरी दिनौ मै सजा के ताँई रखर खाओ है।