16 का तुम ना जानौ हौ कै जिसको मिलन रंडिऔ सै होवै है, बौ बाके संग एक सरीर हो जावै है। कैसेकै पबित्तर सास्तर कैबै है कै, “बे दौनौ एक सरीर हौंगे।”
और बे दौनौ एक तन हौंगे। इसताँई बे अब दो ना पर एक तन है।
का तुम जौ ना जानौ हौ कै, हम सुरगदूतौं को बी फैसला करंगे? तौ का हम जा दुनिया की बातौं को फैसला कन्नै के लायक ना हैं?
पबित्तर सास्तर मै ऐंसो लिखो है कै, “आदमी अपने अईया-अब्बा के छोड़कै अपनी बईयर के संग रैहगो और बे दौनौ एक सरीर बनंगे।”
और बिसवास की बजै सैई रहाब नाम की रन्डी आगियाँ ना माननै बारे लोगौ के संग नास ना भई कैसेकै बानै उन जासूसौ को खुसी सै सुआगत करो।