54 और जब जौ नास होनै बारो सरीर, नास ना होनै बारे सरीर कै पैहर लेगो, और जौ मरनै बारो सरीर अमरता कै पैहर लेगो, तौ तबई पबित्तर सास्तर की जौ लिखी भई बात पूरी होगी कै, “मौत को नास भओ, और जीत मिल गई।”
सच्ची मै हम जब तक जा दुनिया के घर यानी सरीर मै रैहंगे, तौ बोज की बजै सै कैंखते रैहंगे, कैसेकै हम अपने जा सरीर कै छोड़नै के ताँई ना सोचै हैं। पर जामै सुरग के सरीर कै पैहरनो चाँहै हैं, जिस्सै जौ नास होनै बारो सरीर जिन्दगी मै बदल जाय।
जौ बा दिन होगो जब बाकै अपने पबित्तर लोगौ की ओर सै महिमा मिलैगी, और सिगरे बिसवास कन्नै बारे लोग बाकी इज्जत करै हैं। तुम बी जामै सामिल हौ, कैसेकै तुमनै हमरी गभाई मै बिसवास करो है।