इस उमीद सैई हमरी मुक्ति भई है। पर जब हम जिस चीज की उमीद करै हैं और उसकै देख लेबै हैं, तौ फिर बौ उमीद ना है। कैसेकै जिस चीज कै कोई देख रओ है, तौ उस चीज की उमीद कौन करैगो?
जब दूसरे लोग कुछ पानै को हक रक्खै हैं, तौ का हमरो हक उन लोगौ सै जादा ना है? फिर बी हमनै इस हक को फाएदा ना उठाओ। उल्टा, हम मसी की अच्छी खबर के परचार मै कोई रुकाबट ना डारै हैं। इसताँई हम हर तरै सै दुख सैहबैं हैं।
बौ हमरे पापौं कै अपने सरीर मै लेए भए कुरूस मै चढ़ गओ जिस्सै कै हम पापौं के ताँई मरै और धारमिकता के ताँई जिन्दगी जीऐं, कैसेकै पबित्तर सास्तर मै लिखो है, “बाईके मार खाने सै तुम अच्छे भए हौ।”