16 ऐंसेई अगर कान कैए कै, “मैं आँख ना हौं, इसताँई मैं सरीर को अंग ना हौं,” तौ का बौ सरीर को हिस्सा ना है?
तुम मसी भईयौ के जैसो एक दूसरे कै पूरे दिल सै पियार करौ, और एक दूसरे कै अपने सै अच्छो मानौ।
कैसेकै मैं उस किरपा के दुआरा जो मैंकै देओ गओ है, तुम्मै सै हर एक कै कैबौ हौं, कै जैसो समजनो चँईऐ, उस सै जादा कोई बी अपने आपकै ना समजै, पर परमेसर नै हर एक कै जितनो जितनो बिसवास दओ है, बैसेई सोच समजनै के बाद अपने आपकै समजै।
अगर पाँऐ कैए कै, “मैं हात ना हौं, इसताँई मैं सरीर को अंग ना हौं,” तौ का बौ सरीर को हिस्सा ना है?
मानौ अगर पूरो सरीर आँखई होतो, तौ सुने कहाँ सै करते? और अगर पूरो सरीर कानई होतो, तौ कहाँ सै सूंगते?
पर जाको उल्टा ऐंसो है कै सरीर के बे अंग जो दूसरे अंगौ सै कमजोर हैं, बे सबई सै जादा जरूरी हैं।
मतलबी और बेकार के घमंड से कुछ काम ना करौ पर दीनता सै एक दूसरे कै अपने सै अच्छो समजौ।