इब्रानियों 10 - Sirmouriसाच्चा बल़ीदाँण 1 ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ अज्ञाँ-निय्म के कारण जिदी आँणों वाल़ी आच्छ़ी चींजो के सिर्फ़ छाँया जेऐ असो, परह् ईन्दें का असलिय्त्त दा किऐ भे रूप ने आथी; ईन्देंखे तिनू ऐकभाँत्ते बल़ीदाँण के कारण, जू हर साल्ह बैजाऐ चढ़ाऐं ज़ाँव, परह् से आप्णें नंजीक आँणों वाल़े आरार्धना कर्णो वाल़े लोग बिलकुल भी सीद्ध ने करी संक्दे। 2 ना तअ तिनू बंल़ी का चड़ाणाँ बंद कैई ने हंऐ ज़ाँदा? ईन्देंखे के जबे सेंवा कर्णो वाल़े, जे ऐकी ही बंई शुद्ध हऐ जाँदे, तअ तबे तिनका बिचार तिनू पापी ने बाँण्दी थी। 3 परह् तिनू बंल़ी चड़ाड़ों के कारण हर साल्ह तिन्दे पाप चित्ते कराँऐ ज़ाव। 4 किन्देंखे के ऐष्णों कद्दी ने हंदी, के खाड़ू अरह् बाकरे के लह्ऊँ लई तिनके पाप दुर करे ज़ाँव। 5 ईन्देंखे मसीया यीशू ईयों संईसारी दो आँदें बख्त्ते बुलो: “तुँऐं बल़ीदान अरह् भेंट ने चहाँदें, परह् मुँखे, ऐक देह्-शरीर तैयार करी, 6 तुँऐं कोसी घरह् की बल़ी शे अरह् ना पाप की बल़ी शे खुष ने हंदे, 7 तअ: तबे मुँऐ बुलो, देख हाँव आऐ गुआ, पबित्र-ग्रन्थों दो मेरे बारे दो लिखो अंदो असो; जू हे पंण्मिश्वर तुवाँरी हिछ़या पुरी करू।” 8 तिन्ऐ आगे ऊबो दाँई ऐजो बुलो, “ना तुँऐं बल़ीदाँण, अरह् ना भेंट, अरह् ना घरह् की बल़ी, अरह् ना पापो की बल़ी चहाँदे, अरह् ना तिन्दे शे तुँऐं खुशी हंदे,” परह् बल़ीदाँण तअ ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ अज्ञाँ-निय्म के मुँताबिक शे ही चढ़ाऐ ज़ाँव। 9 तअ: तबे हजो ऐजो भे बुलो, के “देख, हाँव तेरी हिछ़या पुरी करदा आऐ रूआ” तअ से आगला ऊँबा थागो, अरह् दुज़ा थंऐ दितों। 10 तेसी हिछ़या शे आँमें यीशू मसीया की देह्-शरीर दे ऐकी ही बंई बल़ीदाँण चड़ाऐ ज़ाँणों के कारण पबित्र करी थुऐ। 11 हर ऐक याजक तअ खह्ल़ियों रोज सेंवा करह्, अरह् ऐक भाँत्ते ही बंल़ीदाँण करह्; जुण्जे पाप कोद्दी भे दूर ने करी सक्दे से तिनू ही बार-बार चड़ाँव। 12 परह् मसीया यीशू तअ अमाँरे सोभी के पाप खे ऐकी ही बंई आप्णाँ बल़ीदाँण चड़ाऐयों पंण्मिश्वर के सुऐं ढबे ज़ाऐयों बैऐठी गुऐ। 13 अरह् से तेसी बख्त्तो की ठंल़्णाँई दे असो, जबे के तिनका बंऐरी तिनके लात्तों थाईला पाट्ड़ा बंणाँया ज़ाला। 14 किन्देंखे के तिन्ऐ ऐके ही चढ़ावे के जाँणें तिनू जू पबित्र करे ज़ाँव सदा खे सीद्ध करे ज़ाँव। 15 अरह् पबित्र-आत्त्मा भे आँमों खे ऐजी ही गुवाऐ-शाज़्त्त दिती: किन्देंखे के तिऐ सेजो आगे ही बुली थुओं थियों। 16 “प्रभू बुलो: के जुण्जी वाचा हाँव तिनू देसो पाछी तिनू आरी करूबा, से ऐजी असो; के हाँव आप्णे निय्म तिनके दिल दे लिखी देऊँबा; अरह् हाँव तिनके मंन दे बंसाऐ देऊँबा।” 17 तबे से ऐशो बुलो: के “हाँव तिनके पाप अरह् अपराध के काँम हजो कद्दी ने चित्ते करूबा।” 18 अरह् जबे तिनखे माँफ़ी भेंटी रंऐ, तअ तबे पाप खे बंल़ीदाँण करणाँ भे खत्त्म हुवा। पंण्मिश्वर के नंजीक ज़ाव 19 ईन्देंखे हे भाऐ-बईणों, जबे आँमों खे प्रभू यीशू के लह्ऊँ, के कारण तिन्ऐ नुंऐ अरह् जीऊँबें बाटो शे पबित्र जागा दे हाजीर हंणों खे हिमम्त्त भेटी गंऐ। 20 किन्देंखे के तिन्ऐ आप्णी देह्-शरीर रूपी पड़्दे लंई, आँमों खे ऐक नुंऐ अरह् जीवन के बाट खुली दिती। 21 अरह् ईन्देंखे अमाँरा ऐशा महाँ-याजक असो, जुण्जा पंण्मिश्वर के घरह् का हंकदार असो। 22 तअ आव, आँमें साच्चै मंन, अरह् बादे बिश्वाष आरी, अरह् आप्णी अंन्त्तर आत्त्मा का दोष दूर कर्णो खे आप्णें दिल गाशी छ़िड़कावा करियों, अरह् आप्णी देह्-शरीर शुद्ध जंल शी धोऐयों पंण्मिश्वर के नंजीक ज़ाँव। 23 ऐबे आँमें बिना शंक-शुभे के आप्णाँ तेसी भूर्षे दे पाक्कै अट्ल़ रंह, जेसी आँमें धारण करी थुवा; किन्देंखे के जिन्ऐं बाय्दा करी थुवा, से बिश्वाष ज़ूगै असो। 24 अरह् प्यार, अरह् भले काँमों खे होस्ला देऐयों ओका ओकी के चिंन्ता-फिकर करिया करह्; 25 अरह् ओका ओकी आरी कोट्ठो हणों ने छुड़ो, जेष्णो के कंऐयों लोग करह्; परह् तुऐ तेष्णों ने करे, अरह् ओका ओकी खे हमेशा होंस्ला देंदा रंह्; अरह् जैई-जैई सेजो देस नंजीक आँदे देखो, तैई-तैई हजों भे जादा ऐष्णों ही करिया करह्। 26 किन्देंखे के जे सच्चाऐ जाँण्णों गाशी भे आँमें जाँणी बुजियों पाप कर्दे रंह्ऊबे, तअ अमाँरे पापो खे ओका किऐ भे बल़ीदाँण ने आथी। 27 सिवाऐ नियाँव के डराव्णी बाट जुहणीं, अरह् कुरूध की आग जिन्दे लंई प्रचंन्ड जंल़्ण बाकी असो; जुण्जी पंण्मिश्वर के बिरोधियों का सफाया करी दियों। 28 किन्देंखे के जोण्जा कुऐ ऋषी-मूसा खे भेटे गुऐ अज्ञाँ-निय्म ने माँन्दा, तेसी दो के च़ीन आदमी की गुवाऐ-शाज़्त्त के मुँताबिक बिना कंसी कृपा के मंऊँत्ती के सजा देऐ ज़ाँव। 29 तअ तबे ऐजो सुचों, के सेजे ईन्दें शे भे जादा बड़ी सजा ज़ूगै बंणीं गुऐ; जिन्ऐ पंण्मिश्वर का बैटा आप्णें लातो थाँई घीजणों खे पाया, अरह् वाचा को सेजो लह्ऊँ, जिन्दे के कारण से पबित्र बंणाँया गुवा; तेने सेजो लंह्ऊँ अपबित्र ज़ाँणों, अरह् कृपा की आत्त्मा के बैस्त्ती करी। 30 किन्देंखे के आँमें तिनू जाँणों ऐं, जिन्ऐं बुलो, के “बद्ल़ा लंणाँ मेरा काँम असो, हाँव ही बद्ल़ा लऊँबा।” अरह् तबे ऐजो भे बुलो, के “प्रभू आप्णें लोगो का नियाँव कर्दे।” 31 जीऊँदे पंण्मिश्वर के हाथो थाई पढ़णों बैजाऐ डराव्णी बात असो। 32 परह् सेजे पाछले देसो चित्ते करह्, जिन्दे तुँऐं पंण्मिश्वर का त्तेज-प्रकाष देखियो दुःख्ह के बह्ड़े झ़मेले दे पाक्कै अट्ल़ रंह्। 33 कुछ़ तअ ऐशे के निदया कंल़ेष संह्दे हंस्णों खे बंणें, अरह् कुछ़ ऐषे, के तुऐं तिनके साजी बंणें; जिनकी बुरी दषा करी ज़ाँव थी। 34 किन्देंखे के तुँऐं कय्दी के दुःख्ह शे भे दुःख्हि हुवे, अरह् आप्णी घरोऊँची भे चुप्प-चाँण लुट्णों दिती, ऐजो जाँणियों के तुँओं कैई ऐक ओकी भे खास अरह् हंमेशा खे रंहणों वाल़ी घरोऊँचीं असो। 35 ईन्देंखे आप्णें पाक्कै बिश्वाष शे दूर ने हुऐ, जिन्दें का प्रत्तिफ़ल़ बड़ा असो। 36 किन्देंखे के तुँओ खे शाँन्ति-सबैर थणाँ जरूरी असो, जू पंण्मिश्वर के हिछ़या पुरी करियों तुँओं तेसी बाय्दे का प्रत्तिफल़ भेंटो। 37 “किन्देंखे शीघे ही से, जुण्जे आँणों वाल़े असो; से आऐ ज़ाँदें अरह् से देर ने कर्दी; 38 मेरा धार्मिकजंण बिश्वाष के कारण जीवन पाँदा: परह् जे से डरियों पाछ़ु फीरो, तअ हाँव तैच्छ़ा खुशी ने रंह्दी।” 39 आँमें तिनू लोगो मुँझ़्शे ने आथी, जुण्जे पाछ़ू फीरियों नाँष हंऐ ज़ाँव; परह् आँमें तिनू लोगों मुँझ़्शे असो, जिनखे आप्णें बिश्वाष के कारण जीवन भेंटो। |
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