3 औरौ आपी मुंजी बौल़ौ थी, “आमु कारिए कब्रो कै दवारो पांदी दा पाथर कुण हौटालै?”
3 अरह् से आपु मुँझी पह्ली रंई थी, के “अमाँरी ताँईऐं खात्ती गाछ़ा पाथर आगु कुँण गाड़ल़ा?”
औयतवार कै झीशो जोबै सुरज निकल़ै ही रौआ थिया, सैजी कब्रो पांदी ऐई,
जोबै तिनुऐ गुफा कै ढौबौ दैखौ, तौ बौड़ा पाथर आगैई दवारो पौरैशा हौटाएयौंदा थिया।
औयतवार कै झीशीं, मगदेला गांव कै मरियम इनारै दी कुणजी ओकी बैटमाणिशौ कै साथै कब्रो दी ऐई, औरौ पाथर खै कब्रो कै दवारो पौरैशा हौटाएयौंदा दैखा।