30 तिनुदा किछै दूर बौहितै सुंगरों का ऐक बौड़ा झुंड चोरे रौआ थिया।
30 तेथै शा आगुड़े सूहंरों का ऐक बड़ा झुंढ चरी रूवा थिया।
तिनु लोगौ कै पौरमेशवर का सौंदेश नी शुणांव जू शुणणा ना चांव। जै तुऐं ऐशै कौरलै तौ ऐजौ ऐशैकै हौंदौ जैशै कोसी पवित्र चीज़ौ कै कुते कै औगौड़ियौ फेरकाए दैंव, औरौ जैशै सुंगरों कै आगै मौती बेगाणै, जू सिरफ तिनुखै दबाए दैंदै, औरौ पाछु तुऔं पांदी हमला कौरदै।”
औरौ दैखौ, तिनुऐ लैरौ मारैबा बौल़ौ, “ओए रै पौरमेशवर का बैटा, अमारै तांवआरी कुणजाई लैणा दैणा ना आथी? औरौ का तू सौमय दा आगै आमुखै दुख दैंदा इथै आए रौआ?”
दुष्टआत्माएं तैसीखै ऐजौ बौलेयौ बिन्ती कौरे की, “जै तू आमुखै निकाल़ै दैय, तौ सुंगरों कै झुंड दै छाड़ै दै।”
ऐबै ऐशैखै हौं कै तिथै धारो पांदी सुंगरों का ऐक बौड़ा झुंड चोरे रौआ थिया।
तिथै धारो पांदी सुंगरों का ऐक बौड़ा झुंड चोरे रौआ थिया, औरौ दुष्टआत्माएं तैसीकैईं दै बिन्ती कौरे, “आमु इनु दै समाणौ दै।” औरौ तैणै तिनु जाणौ दी।