41 दो बैटमाणिशौ चाकी पिशदी रौंदी, ऐक आगु निंदै औरौ औकै छोड़े दैंदै।
41 दो तिरोंई चाक्की दो पीष्दी रह्लीं, ऐक आगू नीह्ली अरह् दुज़ी तेथी छुड़ी देईली।
तैसी सौमय दो जोणे खेतौ दै हौन्दै, ऐक आगु निंदै औरौ ओका छोड़े दैंदै।
दो बैटमाणिशौ ऐकी साथै चाकी पिशदी लागै रौंदी, ऐक आगु निंदै औरौ औकै छोड़े दैंदै।