7 किछै बिज़ झाड़ी मुंजी छुटै, औरौ झाड़ीए जामेयोंदे बिज़ दबाए दिए।
7 किऐ बींज़ झालो-झाड़ी मुँझी पढ़ो, अरह् तेथू झालो झ़ाड़िऐ बड़णों ने दिती, अरह् से झैओ दो गुओ।
जू झाड़ी मुंजी बोए राए, सैजै ऐजै लोग औसौ जिनुवै पौरमेशवर कै वचन कै शुणा, पौरौ आपणै जीवन कै चिन्ता, औरौ धन-दोलत कै धौखै कै बौजैह शै वचन कै मानणा छोड़े दैंव; औरौ सैजै बिना फोल़ कै जिन्दगी जियौं।
पौरौ सुरज निकल़णौ पांदी सै फोखे गौवै, औरौ तिथकै जोड़ डुंगी ना थी इथकारिए सै शोकै गौवै।
पौरौ किछै बीज़ बड़िया जोमीनो पांदी छुटै, औरौ बौहितै फौल़े गौवै; औरौ कुणजैई बीज़ तीस गुणा, कुणजैई बीज़ साठ गुणा, औरौ कुणजैई बीज़ शौ गुणा फौल़े गौवै।”
औरौ किछै बिज़ झाड़ी मुंजी छुटै, औरौ झाड़ीए जामेयोंदे बिज़ दबाए दिए, औरौ सै फौल़े ना।
किछै बीज़ झाड़ी मुंजी छुटै, औरौ झाड़ीए साथ कै साथ जामेयोंदे बिज़ दबाए दिए।